बाइनरी ऑप्शंस (Binary options) में सफल ट्रेडिंग के मूलभूत सिद्धांत है चुनिंदा एसेट के मूल्य में बदलाव का सही पूर्वानुमान। इसके लिए, व्यापक विश्लेषण करना और बड़ी संख्या में मापदंडों पर ध्यान देना आवश्यक है।
तकनीकी विश्लेषण, विश्लेषण का सबसे मूलभूत और महत्वपूर्ण चरण है क्योंकि यह आपको वर्तमान ट्रेंड का निर्णय करने की अनुमति देता है — आरोही या अवरोही (ascending or descending)। ट्रेंड के प्रकार और इसके दीर्घकालीक, वित्तीय विश्लेषण कई सारे टूल का उपयोग करता है, जैसे तकनीकी विश्लेषण या विभिन्न सूचक के बेसिक फिगर।
तकनीकी विश्लेषण का और एक मूल अवधारणा है अस्थिरता (volatility), जो कीमत के अस्थिरता के डिग्री को दर्शाता है, यानी एक एसेट का कितना मूल्य कितने जल्दी एक सिरे से दूसरे सिरे तक पहुंचता है। अस्थिरता जितना ज्यादा होगा, मूल्य के गतिविधि भी उतनी ही ज्यादा अस्थाई होगी, और चार्ट में उतना ही ज्यादा उतार-चढ़ाव नजर आएंगे। इसके विपरीत, एसेट की अस्थिरता जितनी कम होगी, एसेट का मूल्य उतना ही स्थिर रहेगा।
इंटरएक्टिव प्राइस चार्ट इंडिकेटर को देखने की क्षमता प्रदान करता है — इंडिकेटर बटन को क्लिक करें और दिखाई देने वाले लिस्ट में से अपने वांछित इंडिकेटर को सिलेक्ट करें। किसी भी इंडिकेटर का मूल है ट्रेंड और कुछ और अधिक सूक्ष्म एल्गोरिदम जो आपको अल्पावधि में भविष्य की कीमत की प्रवृत्ति का सटीक अनुमान लगाने की अनुमति देते हैं। तकनीकी विश्लेषण में इस्तेमाल किए जाने वाले आम इंडिकेटर में होने चाहिए:
- Moving Averages;
- William's Volumes;
- Alligator;
- Stochastic;
- MACD — Moving Average Convergence/Divergence;
- Bollinger bands.